Sunday 21 October 2012

Durga Pooja ke saptami tithi ko Maa Kaalratri ki pooja vandna


वाम पादोल्ल सल्लोहलता कण्टक भूषणा |
वर्धन मूर्ध ध्वजा कृष्णा कालरात्रि भर्यङ्करी ||

दुर्गा पूजा के सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा वंदना इस मंत्र से करना चाहिए.
नवरात्री की सप्तमी तिथि को आदिशक्ति दुर्गा की 9 शक्तियों की सातवीं स्वरूपा और अन्धकार का नाश कर प्रकाश प्रदान करने वाली मां कालरात्रि की पूजा होती है. भय का विनाश करने वाली और काल से अपने भक्तों की रक्षा करने वाली मां कालरात्रि का स्वरुप बड़ा ही भयानक है, लेकिन ये शरणागतों को सदैव शुभ फल देनेवाली मानी जाती है, जिस कारण माता को शुभंकरी भी कहा जाता है. लौकिक स्वरुप में माता के शरीर का रंग अमावस्या रात की तरह एकदम काला है. सिर के बाल बिखरे हैं. इनके तीन नेत्र हैं जो ब्रह्माण्ड के समान सदृश्य गोल है. गले में विद्युत् की तरह चमकने वाली माला है. इनकी नासिका से अग्नि की भयंकर ज्वाला निकलती रहती है. दुर्गा पूजा में सप्तमी की पूजा का बड़ा महत्व होता है क्योंकि देवी का यह रूप सिद्धि प्रदान करने वाला है. यह दिन तांत्रिक क्रिया की साधना करने वाले भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. शास्त्रानुसार इस दिन पहले कलश की पूजा करनी चाहिए, फिर नवग्रह, दशदिक्पाल, माता के परिवार में उपस्थित देवी-देवताओं और फिर माता कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए. इससे भक्तों को मनोवांछित फल मिलता है.


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