Wednesday 17 October 2012

Durga Pooja ke dusre din Maa Brahmcharini ki pooja vandna


 ||दधाना कर पद्माभ्यामक्ष माला कमण्डलु |

देवी प्रसीदतु मणि ब्रह्मचारिणीय नुत्तमा ||


दुर्गा पूजा के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-वंदना इस मंत्र द्वारा की जाती है.

दुर्गा पूजा के दूसरे दिन मां दुर्गा की दूसरी शक्ति स्वरूपा भगवती ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. माता तपस्या का आचरण करने वाली हैं, जिस कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा जाता है. माता ब्रह्मचारिणी का स्वरुप बहुत ही सात्विक और भव्य है. ये श्वेत वस्त्र में लिपटी हुई कन्या रूप में हैं जिनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है. नवरात्र के दूसरे दिन साधक अपने मन को मां ब्रह्मचारिणी के चरणों में लगाते हैं और कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए साधना करते हैं. मां दुर्गा की 9 शक्ति का यह दूसरा रूप भक्तों और साधकों को अनंत कोटि फल प्रदान करने वाला है. इनकी उपासना करने से उपासक के मन में सदाचार, तप, वैराग्य और संयम की भावना जागृत होती है. पौराणिक कथानुसार अपने पूर्व जन्म में मां ब्रह्मचारिणी भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए देवर्षि नारद के उपदेश से कठिन तपस्या की थी. इन्होने इस तपस्या के दौरान एक हज़ार वर्ष तक केवल फल खाकर व्यतीत किए और सौ वर्ष तक केवल शाक पर निर्भर रहीं. अपने कठिन उपवास के समय मां केवल जमीन पर टूट कर गिरे बेलपत्रों को खाकर तीन हज़ार वर्ष तक भगवान शिव की अराधना करती रही और फिर कई हज़ार वर्षों तक वह निर्जल और निराहार ही व्रत करती रही, तब जाकर भगवान भोलेनाथ इन्हें पति रूप में प्राप्त हुए थे.


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